Thursday, March 27, 2008

8.17 घमघट

[कहताहर - भूपेन्द्र नाथ, मो॰पो॰ - बेलखरा, जिला - जहानाबाद]

लाल गोहुम के उजर चपाती आउ धीवन के ठट्ठा,
हम छानत हैं मोसाफिर, तू खाव तऽ बाजे घमघट ।।
घमघट के माने नऽ सखी, घमघट के माने नऽ ।।

कोठा ऊपर कोठरी, तर बिछाओ खाट ।
घमघट के माने नऽ सखी, घमघट के माने नऽ ।।
हम-तुम मोसाफिर मौज करो, तब बाजे घमघट ।।

लम्बा डाँड़ पात पुराना, सौंफ पुराना, सौंफ-मिरीच के ठट्ठा
भांग ले भंगोटन ले आ, तब बाजे घमघट ।।
घमघट के माने एही सखी, घमघट के माने एही ।।

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