Thursday, March 27, 2008

8.14 राजा आउ ओकर छोटका बेटा

[कहताहर - रामकृत प्रसाद, मो॰ - चिलोरी, पो॰ - मखदुमपुर, जिला - जहानाबाद]

एगो राजा के चार गो बेटा हलन । जब बेटा सब पढ़-लिखके तइयार हो गेलन तो राजा कहलन कि तोहनी अप्पन-अप्पन काम बतावऽ । ओकरा में से बड़का बेटा कहलक कि हम अभी पढ़बो । मँझिला कहलक कि हम तो नोकरी करबो । सँझिला कहलक कि हम तो गिरहस्ती करबो । छोटका बेटा बंस में लेढ़ा लगाबे खातिर चोर से रूप में जनम लेलक । राजा छोटका लड़का से कहलक कि "ए बेटा, तू जब अप्पन माय के झुल्ला चोरा ले अयबऽ तऽ हम मानब कि तूँ सही चोर हऽ । राजा के छोटका बेटा अप्पन महल में सेन्ह फोर के अप्पन माय के पास पहुँचल । गरमी के महीना हल । ओकर माय गरमी के मारे झुलवा काढ़ के खटिया पर रख देलक हल । ऊ झुल्ला उठाके ले भागल आउ जा के बाबू जी के देखा देलक । राजा कहलन कि तू ठीके में पकिया चोर हें । राजा फिनो कहलन कि हम्मर बेटा तो बंस में लेढ़ा लगाइये देलऽ बाकि हम तोरा सही माने में पकिया चोर तब समझवो जब तू फलना राजा के सात भुजाओला तरवार आउ सामकरन घोड़ा चोरा के ले अयबऽ । बेटा कहलक कि "बापजान, हम जरूर ला देम ।" राजा बेटा के दिन-तारीख दे देलक । छोटका बेटा ओही दिन महल से चल देलक ।
************ Entry Incomplete ************

No comments: