Tuesday, March 25, 2008

7.22 तीन गो बेशकीमती बात

[ कहताहर - हेमा रानी, मो॰-पो॰ - खुसरूपुर, पटना]

एगो राजकुमार हलन । उनका घूमे-फिरे के बड़ा सौक हल । राजा के महामंत्री बूढ़ा हलन बाकि दीन-दुनिया काफी देखले-सुनले हलन । ऊ जे सलाह दे हलन ओकर एक-एक बात बेशकीमती होवऽ हल ।

एक बेरिया के बात हे कि राजकुमार के मन में देस-विदेस घूमे के मन कैलक । ऊ अप्पन मन के बात अप्पन बाबू जी से कहलन । बाकि ऊ उनकरा अप्पन आँख तर से ओझल होवे ला न चाहऽ हलन । एन्ने राजकुमार अप्पन जिद्द पर अड़ल हलन से ऊ महामंत्री जी से राय माँगलन । महामंत्री जी कहलन कि "देस-परदेस घूमे में कउनो हरज न हे । घूमे से अनुभव बढ़े हे । बाकि हम राजकुमार के तीन गो बेशकीमती बात बतावऽ ही । ऊ ई तीनों बात के ध्यान में रखतन तऽ कभियो मुसीबत में न पड़तन ।"

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