Monday, March 24, 2008

7.14 महादे(व) के बचन

[ कहताहर - राम खेलावन, मो॰ - राघो बिगहा, पो॰ - बेलखरा, जिला - जहानाबाद]

एगो राजा, ठाकुर के साथे, ससुरार जाइत हलन तो उनका मैदान लगल तो ठाकुर पर घोड़ा छोड़ के दीसा फीरे लगलन । ठकुरवा कहलक कि "अपने अप्पन पोसाक दे देब, तब न घोड़ा धरे लायक रहम !" राजा अप्पन पोसाक ठकुरवा के दे देलन । एन्ने ठाकुर घोड़ा पर चढ़ के राजा के पोसाक में उनकर ससुरार चल गेल । ठाकुर के भेस में राजा भी ससुरार पहुँचलन तो ठाकुर राजा बनल हल । अब राजा के ठाकुरे भेस में रहे पड़ल ।

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