Monday, March 24, 2008

7.07 बीरबल बादसाह

[ कहताहर - राधे सिंह, मो॰ - ऊपरडीह, पो॰ - अरवल, जिला - गया]

एक दफे बादसाह बीरबल से पूछलन कि "हम जे कहबउ से तूँ करबें ?" बीरबल कहलक कि करब । राजा कहलन कि "धुआँ के साड़ी तइयार करऽ !" बीरबल अब तो पड़ल फेरा में आउ घरे आन के मटिया के सूत गेल । ओकर बेटिया जगौलक कि "बाबू जी, चल के खा लऽ ।" तऽ बीरबल कहलक कि "बेटी, राजा साहब के दवाल सुन के आज हम्मर भूख-पिआस सब बंद हे ।" बेटी पूछलक तो बीरबल राजा के सवाल कह देलक । बेटी कहलक कि "घबड़ाय के कोई बात नऽ हे । चलऽ, पहिले खा लऽ आउ दरबार में जाय के पहिले पूछ लिहँऽ ।" बीरबल खाना-उना खयलक आउ दरबार में जाय के पहिले बेटी से पूछलक कि "अब कहऽ ।" बेटी कहलक कि जा के राजा से कह दऽ कि "धुआँ के साड़ी तइयार हे बाकि ओकरा में नजर के भाड़ी के जरूरत हे !" राज-दरबार में आन के बीरबल ओही बात कहलक । राजा नजर के माड़ी ला सब के आँख पर एकह गो हाँड़ी बँधा देलन । जब नजर के माड़ी नऽ जमा होयल तो राजा कहलन कि "ए बीरबल, नजर तो जमे नऽ हो रहल हे !" तब बीरबल कहलक कि "सरकार, जब नजर के माड़ी जमे नऽ होयल तो धुआँ के साड़ी तइयार हो सकऽ हे ?"


************ Entry Incomplete ************

No comments: