Sunday, March 16, 2008

6.03 राजा आउ मंत्री

[ कहताहर - ब्रजकिशोर प्रसाद, मो॰-पो॰ - बलुआ, जिला - गया]

कोई गाँव में नरसिंघ नाम के एगो राजा हलन । उनकर सुभनाम के मंत्री हलक । राजा के मंत्री पर पूरा भरोसा हले । बाकि मंत्री के राजा पर न हले । एक दिन जब राजा सूतल हलन तो मंत्री उनका जान मार देलक आउ अपने राज-पाट करे लगल । कुछ दिना के बाद मंत्री मर गेल । जम लोग ओकरा जमराज के पास ले गेलन । जमराज उनका घोड़ा जोनी में जलम देलन । ऊ घोड़ा के एगो सौदागर ले लेलक आउ सौदागर से राजा खरीद लेलक । राजा जब सवारी करे ला घोड़वा भीर गेलन तो ऊ सिर नेवा लेलक । ई हाल देख राजा एकर कारन जाने ला पंडितन के बोलैलन । पंडित लोग कहलन कि "ई घोड़ा तोरा परनाम करलक हे" बाकि राजा के विसवास न भेल । ऊ एक दिन घोड़ा पर चढ़ के जंग में सिकार करे गेलन । जाइते-जाइते राजा के पिआस लगल तो पानी खोजे लगलन । एगो कुटिया के नजीक गेलन तो देखइत हथ कि उहाँ एगो पानी से भरल तलाब हे । कुटिया में एगो साधु जी हथ जे एगो लड़का के गीता पढ़ा रहल हथ ।

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