Sunday, March 16, 2008

6.02 थोड़ा दान बहुत फल

[ कहताहर - प्रसाद साव, मो॰ - चिलोरी, पो॰ - मखदुमपुर, जिला - गया]

एगो ब्राह्मण हलन जेकरा एगो लइका हले । दोसर जगुन एगो ब्राह्मनीहलन । उनका एगो लड़की हले । दूनो के बिआह के बातचीत चलल तो ब्राह्मन कहलन कि "अभी हम्मर बेटा पढ़इत हे । पढ़ला के बाद सादी करम !" से लड़का पढ़े लगल आउ पढ़ला-लिखला पर दूनो के सादी हो गेल । सादी के बाद लड़कावा ससुरारे में रह गेल आउ कहलक कि हम इन साल दसहरा खाके घरे आयम । से जब ऊ रात में कोहबर गेल तो कनइयाँ पूछलक कि तूँ तो बाबू साहब पढ़-लिख के होसिआर हो गेलऽ हे । से हम एक सवाल पूछऽ हिवऽ, ओकर जवाब देबऽ ?

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