Saturday, March 15, 2008

6.01 मनीता के महातम

[ कहताहर - मनोरमा देवी, मो॰-पो॰ - बेलखरा, जिला - गया]

एगो राजा हलन । उनका कोई लड़का न हले । खाली लड़की हलन । ऊ राजा-रानी लड़का ला गंगा जी से मनीता मानलन तो उनका एगो लड़का होयल । ऊ सेयान भेलन तो उनकर सादी भी गंगा के पारे हो गेल । उनकर मतारी गंगा जी के मनीता तो मान देलन हल बाकि भारा न उतारलन हल, से जब राजकुमार के बिआह हो के बराती गंगा पार से लौटइत हल तो सब बराती पार हो गेल बाकि राजकुमार के गंगा जी डुबा देलन । ऊ राजकुमार गंगा जी के हो गेलन आउ उनके लगे रहे लगलन । गंगा जी ऊ राजकुमार ला अप्पन अरार पर एगो मंदिर बना देलन । दिन में राजकुमार गंगा जी के साथ रहथ आउ रात में गंगा जी से निकल के मंदिर में रहथ । गंगा जी ओकरा अप्पन समझ के 'गंगा-गंगा' कहके चाल करथ तो ऊ बिहान होते मंदिर से निकल के गंगा जी में चल जाथ ।

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