Saturday, March 15, 2008

5.23 सतेली माय (कथा 4.13 के रूपांतर)

[ कहताहर - श्यामदेव सिंह, ग्राम॰-पो॰ - चौरी, जिला - औरंगाबाद]

एगो सहर में एगो राजा हलन । उनका कोई लइका-फइका नऽ हल । कुछ दिना के बाद उनका चार गो लइका होयल । ऊ राजा के महल के एगो कोना में गरवइया खोता लगा के दूनो परानी रहऽ हलन । रानी ओकरा रोज देखऽ हलन । गरवइया के दूगो बच्चा हल । बचवन के दूगो परानी मिलके खिआवऽ-पीआवऽ हलन । कुछ दिन के बाद गरवनियाँ मर गेल तो गरवइया अकेले पाले-पोसे लगल ।
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