Saturday, March 8, 2008

4.33 पनिहारिन आउ राजा

[ कहताहर - अयोध्या सिंह, मो॰-पो॰ - बेलखरा, जिला - जहानाबाद]

दही के दलदल, मक्खन के पहाड़ ।
मच्छड़ ने मारी लात, टूट गया सहर गुजरात ।।
बात है सो मीठी, कथा है सो झूठी ।
कहनेवाला झूठा, सुननेवाला सच्चा ।।

एक गाँव में चार गो इयार हलन । चारो इयार नोकरी करे चललन । जाइत-जाइत कुछ दूर गेलन तऽ एगो कुआँ मिलल । ओहईं पर एगो पेड़ हल । ओकरे तर चारो इयार जाके बइठलन । ओहे कुआँ पर एगो पनिहारिन पानी भरे आयल हल तो एगो इयार उठ के कुआँ पर गेलन आउ कहलन क "ए बहिन, हमरा पानी पिया दऽ ।" पनिहारिन पूछलक कि "तूँ कउन हऽ ?" तऽ ऊ बतवलन कि "हम पहलवान ही ।" पनिहारिन कहलक कि "तूँ कउन पहलवान हऽ ?" दुनियाँ में दूए गो पहलवान हे - एकर मरम बताय दऽ तो हम पानी पिलायम ।" तऽ ऊ कहलक कि एकर मरम हम जानवे नऽ करऽ ही । तऽ कुआँ पर से ऊ पिआसे चल अयलन । तीनो इयार पूछलन कि काहे बिना पानी पीले घूम गेलऽ । तऽ ऊ उहाँ के सब बात कह सुनौलन । तऽ दोसर इयार कुआँ पर गेलन । ऊ पानी पीये ला पनिहारिन से माँगलन तो ऊ कहलकइ कि तूँ कउन हऽ ? ऊ कहलन कि हम रहगीर ही । पनिहारिन कहलक कि "दुनियाँ में दूए गो रहगीर हे । तू ओकरा में कउन हऽ ? एकर मरम बतइवऽ तो पानी पिलायम नऽ तो नऽ पिलायम ।" ऊ कहलक कि एकर मरम हम जानवे नऽ करऽ ही । ओहू कुआँ पर से इयारन के पास आन के सब कथा सुनौलन । तब तेसरका इयार कहलन कि "हटऽ-हटऽ, तोहनी सब नऽ बतलयलें, तो हम जाके बता देम ।" ऊ भी कुआँ पर गेलन आउ पानी पीये ला माँगलन । पनिहारिन कहलक कि "तूँ कउन हऽ कि तोरा पानी पिला दियो ?" ऊ कहलक कि "हम गरीब ही ।" पनिहारिन कहलक कि "दुनियाँ में दूए गो गरीब हे । तूँ ओकरा में से कउन गरीब हऽ ? बता दऽ तो पानी पिला देबवऽ नऽ तो नऽ ।" ओहू हुआँ से पिआसे चल आयल । तब चउथा इयार भी कुआँ पर गेल । ओकरो से पनिहारिन पूछलक कि तूँ कउन हऽ ? ऊ कहलक कि "हम बुरबक ही ।" पनिहारिन कहलक कि "दुनियाँ में दूए गो बुरबक हे । तूँ ओकरा में कउन बुरबक हऽ ? एकर मरम बतावऽ तो पानी पिलबवऽ नऽ तो नऽ ।" ओहू कहलक कि हम एकर मरम न जानऽ ही । पनिहारिन पानी भर के अपन घरे चल गेल ।

************ Entry Incomplete ************

No comments: