Saturday, March 8, 2008

4.31 कउवाहँकनी रानी

[ कहताहर - रमुनी देवी, मो॰-पो॰ - कचनामा, जिला - जहानाबाद]

एगो राजा के सात गो रानि हलन । सातो रानी से एको बाल-बच्चा न हल । एक दिन एगो साधु राजा के बतौलक कि सात आमओला घउद के दहिना हाथे झबदा से मार के बायाँ हाथे लोक लीहँऽ । आन के सब रानी के एकह गो आम खाय ला दीहँऽ । राजा साधु के कहला मोताबिक कैलन आउ बड़की रानी के सातो आम देके कहलन कि सबहे एकह गो खा लीहँऽ । सबहे रानी एकह गो आम खा लेलन बाकि छोटकी काम में बझल हलन से न खा सकलन । एकर हिस्सा भी ओहनीये सब खाके आँठी कोठी पर रख देलन । जब छोटकी रानी अयलन तो पूछलन कि का तो राजा जी आम खाय लागी लवले हथ ? सबहे रानी कहलन कि उका तोर कोठी पर रखल हउ । जा के देखलन तो खाली आँठी रखल हे । बेचारी ओही आँठी के चाट-चूट के फेंक देलन । सबहे के गरभ न रहल आउ छोटकी के गरभ रह गेल । छोटकी रानी से सबे बड़की बड़ी डाह करऽ हलन । सब मिल के ओकरा से कुटिया-पीसिया करावऽ हलन । बेचारी दिनभर धान पसार के कउवा उड़ावइत रहऽ हलन से ओकर नाम 'कउवाहँकनी' हो गेल हल । 'कउवाहँकनी' रानी घरे सब सुक्खल धान ले आवऽ हल आउ कूटऽ हल । अइसहीं ओकर दिन बीत रहल हल ।

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