Friday, March 7, 2008

4.25 छोटका भाई आउ छोटकी बहिन

[ कहताहर - नन्हें, ग्राम-पो॰ - बेलखरा, जिला - जहानाबाद]

एगो हलन राजा जी । उनका छव गो बेटा आउ एगो बेटी हलन । पाँच बेटन के सादी हो गेल हल, छोटका बेटा कुँआर हल । से ऊ एक रोज नदी किनारे घूमे गेल आउ ओने से एगो भिरंगी के झाड़ी उखाड़ले आयल आउ कोठी पर रख देलक । अप्पन एगो भउजाई से ऊ कह देलक कि जे ई भिरंगी खा जायत हम ओकरे से बिआह करम । उनकर बहिन भउजाई से पूछलन कि "ई केकर भिरंगी रखल हे ? से हम खा जाइत ही !" तबे भउजाई कह देलक कि जाऽ, खा जा गन ।" ऊ भिरंगी खा गेल । छोटका देखलक कि भिरंगी न हे तो ऊ सब से पूछलक कि भिरंगी का भेल ? सब कहलकथिन कि माँई खा गेलथुन । तब छोटका बेटा कहलक कि "मइया कने गेलउ, हम ओकरे से सादी करम !" तब बहिनिया अँखरे दउरी ले के एगो ऊ ताड़ पर चढ़ गेल । पहिले से ताड़ पर एगो सिआर आउ नेउर रहऽ हल ।

लड़की के माय ताड़ भिरू गेल आउ कहलक -
"उतरूँ-उतरूँ बेटिया गे, तब हलहुँ बेटिया, अब होलहुँ पुतहु हमार ।"

फिन बेटिया तड़वे पर से बोलल -
"कइसे उतरूँ मइया गे, तब हलहुँ मइया, अब भेलहुँ ससुई हमार ।"

तब भउजइअन जा के कहलन -
"उतरूँ-उतरूँ ननदी हे, तब हलहुँ ननदी, अब होलहु गोतनी हमार !"

फिनो ननद ताड़े पर से बोलल -
कइसे उतरूँ भउजी हे, तब हलहूँ भउजी, अब होलहुँ गोतनी हमार !"

ई तरी सब भउजाई आउ भाई कहलन बाकि छोटकी बहिन ताड़ पर से न उतरल । हार के सब कोई उहाँ से लौट गेलन । एक रोज ओही ताड़ तर से राजा के बड़का गो बरियाती गुजरइत हल । तब तड़वे पर से नेउरिया बोलल - "बर-बरिआत, छर-छरियात, पर-परियात ।" तब सिअरवा कहलक कि "चल के देखे के चाहीं ।" नेउरिया उहाँ से गते उतर गेल । फिन सिअरो धड़ाम से कूद गेल । एकरा बाद लड़कियो कूदल आउ ओहिजे ओकर परान छूट गेल ।

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