Friday, March 7, 2008

4.13 सतेली माय के करमात

एगो राजा हलन । उनकर एगो लइका हल । राजा के रानी के ओरी तर एगो खुदबुदी खोता लगवले हल । रानी दिन भर खुदबुदिया के तमासा देखइत रहऽ हलन । एक दिन खुदबुदिनिया दूगो बच्चा देलक । कुछ दिना के बाद मर गेल । ओकरा बाद ओकर बप्पे खिलावे-पिलावे लगल । एक दिन ऊ सोचलक कि दोसर सादी करे के चाहीं आउ कर भी लेलक । कुछ दिन तक बचवन के बाप आउ सतेली माय मिल के खिलौलक-पिलौलक । फिन सतेली माय अप्पन मरदाना से कहलक कि दूसर के बच्चा में काहे ला एतना मेहनत करइत हऽ । एकरा मार दऽ आउ अजाद होके रहऽ । त बप्पा पूछकई कि मारे के कउन उपाय हे ? मइया बोललइ कि जंगल से काँटा लाके ओकर मुँह में दे दऽ कि मर जाय । दूनो उहाँ से जंगल में चललन आउ दिन भर चललन, रात में दूनों काँटा लेके घरे आ गेलन । बच्चा मुँह बौलक तऽ दूनों काँटा डाल देलन । गला में काँटा अँटक गेल तो ऊ मर गेल । दूनो बेकति लाती मार के खोता से ओकरा नीचे गिरा देलक । ओकर सब तमासा रानी देखइत हलन । ऊ बचवन के उठा के कठौत से झाँक देलन आउ अपने खटवास-पटवास ले लेलन । दाई से राजा के पास खबर दिला देलन कि अब रानी न बचतथुन । दाई के खबर सुन के राजा दउड़इत अयलन आउ पूछलन कि "का मँगवाउअऽ ? ओझा, गुनी, बइद ? कउची से तोर बेमारी दूर होयत ?" रानी बोललन कि हमरा कोई चीज के जरूरत न हे । बच्चा उघार के दिखा देलन आउ कहलन कि "हमरा मरला के बाद तूँ सादी मत करिहँऽ ।" राजा परन कयलन कि हम तोरा मरला पर दूसर सादी न करम । ओकरा बाद राजा कचहरी में चल गेलन । कुछ दिना के बाद रानी मर गेल । काम-किरिआ होयला के बाद रोज चार कुटुम आवे लगलन । राजा सब के नहकार कयले गेलन । हमरा अपने एगो लड़का हे, पुतोह हे, काहे ला सादी करीं ।

********* Entry Incomplete **********

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