Sunday, February 17, 2008

3.02 लोभ से मरन

[ कहताहर - रामप्यारे सिंह, ग्राम - बेलखरा, जिला - गया]

एक दफे एगो राजा आउ वजीर जंगल में सिकार करे गेलन तो राह में एगो आन्हर भिखारी के देख के रुक गेलन । ओकर भीरू जाके पूछलन आउ कुछ देवे लगलन तो ऊ कहलक कि हम न लेम ।राजा वजीर से पाँच रुपेया देवे ला कहलन । ऊ लेवे ला तइयार न होयल । पाँच से दस, दस से बीस, बीस से सौ, सौ से हजार, इहाँ तक कि आउ लाख रुपेया तक देवे ला राजा तइयार होयलन तइयो ऊ न लेलक । फिनो आधा राज-पाट भी न लेलक तो राजा ओकरा मुँहमाँगा देवे ला दरबार में बोलवलन । दोसर दिन भिखारी राजा किहाँ गेल । राजा कहलन कि तोरा का चहवऽ ? भिखारी कहलक कि "हमरा दू थप्पड़ मार के जे देम से हम ले लेम ।" "थप्पड़ हम काहे मारम ? एकरा का कारन हे ?" अपने राजा के पूछला पर भिखारी अप्पन सब हाल सुनावे लगल ।

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