Saturday, February 16, 2008

2.09 दिलवर जान (बृहत्कथा का संक्षेप)

[ कहताहर - रामप्यारे सिंह, ग्राम - बेलखरा, पो॰ - करपी, जिला - गया ]

एगो राजा के बड़ी तपस्या के बाद एगो बेटा भेल । ऊ बड़ी तेज हल आउ पढ़के जब सोरह बरस के भेल तो एक दफे ऊ सपना देखलक - "बावन गली तिरपन बजार, सीसा के बजार हे । ऊ बजार में एगो बड़ी सुन्नर हलुआइन हे । ऊ तीन दाम के मिठाई बेचऽ हे - पच्चीस रुपेया सेर, पचास रुपेया सेर आउ सौ रुपेया सेर । सेर भर मिठाई खाईं तो बड़ी अच्छा होय । अन्हारे ऊ लइका ऊ बजार देखे ला तइयार भेल तो बाबूजी पहिले अपने देख आवे ला कहलन । ऊ जाके सौ कोस के दूरी पर ओइसने बजार लगा देलन आउ ओकरा में एगो हलुआइन बइठा के समझा देलन । फिन लइका ऊ बजार के देखे जाय ला तइयार भेल । भेटा घोड़ा पर खूब रुपेया लाद के चलल, साथ में बापजान भी हो गेलन । बनावटी बजार में लइका पहुँचल तो हलुआइन से मिठाई के दाम पूछलक आउ लेके खयलक बाकि ओकरा बिसवास न भेल कि ई ओही बजार हे, जे ऊ सपना में देखलक हल । से ऊ उहाँ से घोड़ा पर रुपेया लदले भाग गेल । बापजान उहईं मुरुछा खाके गिर गेलन ।

********* Entry Incomplete **********

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