Tuesday, February 12, 2008

2.03 अप्पन किस्मत के कमाई

[ कहताहर - मु॰ इसलाम अंसारी, ग्राम - सोनभद्दर, जिला - गया ]

एगो बादसाह के सात गो बेटी हले । एक दिन बादसाह अप्पन बेटी से पूछलन कि तोहनी केकर किस्मत से खा हें ? सातो में छह बेटी कहलन कि बापजान, हम तोर किस्मत से खा ही बाकि छोटकी बेटी कहलक कि हम अप्पन किस्मत से खा ही । ई सुन के राजा के खीस बर गेल आउ ऊ बेटी के घर से निकाल देलन । जायत खानी ओकर माय ओकर जूरा में एगो लाल बाँध देलक आउ डोली पर चढ़ा के एगो लौंड़ी के साथे जंगल में भेज देलक । जंगल में लौंड़ी आउ राजा के बेटी गरीब-गुजारी से रहे लगलन । ओकरा नेहयला भी कई दिन हो गेल । एक दिन एगो पासी ताड़ पर चढ़इत हल । राजकुमारी दासी से कहलन कि पसिया से कह कि दूगो खगड़ा गिरा देवे । पसिया ढेर मानी खगड़ा गिरा देलक । राजकुमारी ओकरे से अड़ोत करके नेहा लेलक । नेहायते खानी जुड़वा में से लाल गिरल । ई लाल ऊ दाई के देलक आउ कहलक कि "तूँ बजार में जाके एकरा बेच दे । सूई-डोरा आउ फूल काढ़े के थोड़ा साज-समान लेले अइइहें ।" लौंड़ी जा के बजार में लाल बेच देलक आउ सूई-डोरा के साथ-साथ सब जरूरी समान लेले आयल आउ राजकुमारी के दे देलक । राजकुमारी रोज गिलाफ पर आउ रूमाल पर फूल काढ़े लगल । दाई ओकरे बेच के रोज खाय के समान लावे लगल । ई तरह से राजकुमारी दाई के साथ रहे लगल आउ कमाई करके मजे में खाय लगल । जे फाजिल पैसा बचे ओकरा हिफाजत से ऊ जमा करे लगल ।

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