Tuesday, February 12, 2008

1.35 परी आउ राजा

[ कहताहर - गया महराज, ग्राम - बेलखरा, जिला - जहानाबाद ]

एगो राजा के लाल नाम के लड़का हल । उनकर माय बेटा के बिआह करे खातिर नउवा-ब्रह्मण के पेठौलन । लड़की के लेखा-जोखा न बइठइत हल । से नउवा-ब्रह्मण एगो नदी किनारे बइठ के भोजन कैलन आउ खाके खोना नदी में बीग देलन । नदि के दोसर दने भी एगो लड़का खोजे नउवा-ब्रह्मण आके बइठलन आउ खा-पी के खोना नदी में फेंक देलन । एहनी के खोना नदी के पानी में नाँचे लगल तो लड़का तरफ ओलन पूछलन कि तोर खोना पानी में नाचइत हे । तब ओहनी कहलन कि हमनी सब लाल नाम के लड़का खोजे चलली हे । फिनओहनी दूनो दने के लोग सादी ठीक कर देलन आउ सब छेका-बरतुहारी हो गेल । कुछ दिन के बाद तिलक परल आउ सादी हो गेल । सादी में दुनिया भर के राजा पहुँचलन । सादी के बाद कोहबर मिलल । ऊ बराती में ढेर-सिन परी भी आयल हलन । जब राजा के बेटा अकेले कोहबर में गेलन तो सब परी मिल के राजा के लड़का के उड़ा ले गेलन आउ एगो जंगल में पार देलन । जब रानी कोहबर में गेलन तब बड़ी बिलख के रोवे लगलन । सब कोई सोचे लगलन कि लड़की काहे रोइत हे । लौंड़ी पूछे गेल कि काहे रोइत हँऽ ? तब ऊ कहलक कि राजा पलंग सहितेनऽ हथ । बराती में हलचल फैल गेल । तबो सब लड़की के कसूर बतौलन आउ कहलन कि हम लड़की के रोसगदी करा के ले जायम । लड़की कहलक कि हम बारह बरस सदावर्त बाँटब तब ससुरार जायम । बराती लौट गेल आउ लड़की एगो कोठरी में रह के सदावर्त बाँटे लगल । एक समय के बात हे कि दूगो रहगीर ओही जंगल से आवइत हलन तो देखइत हथ कि एगो राजा खूब बढ़िया पलंग पर सूतल हथ । चार गो परी राजा के खटिया के पउवा पर बइठल हे । परी के जब मन होवे तो राजा के जिया दे आउ जब मन होवे तो मार दे । जब मारे के मन हो तो गोड़थारी के बलिस्ता सिरहाना कर देवे आउ जिआवे के मन होवे तो सिरहाना के बलिस्ता गोड़थारी कर देवे । रहगीर एगो झाड़ी में बइठ के ई सब देखइत हल । रहगीर के जाइत-जाइत रस्ते में बेर डूब गेल । ओहनी दूनो रहगीर सोचलन कि जहाँ सदावर्त बटइत हे उहें रह जायब आउ सबेरे चल जायब । ओहनी रात के उहई रह गेलन आउ बतिआइत हथ कि आज तक अइसन न देखली हल कि सिरहाना के बलिस्ता गोड़थारी आउ गोड़थारी के बलिस्ता सिरहाना कर देवे से अदमी मरे हे आउ जी जा हे ।

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