Tuesday, February 12, 2008

1.33 जैन आउ मेठ सुबरन सुन्नरी

[ कहताहर - सामदेव सिंह, ग्राम - टिकुली, जिला - औरंगाबाद ]

एगो राजा हलन । उनकर एगो बेटा हल । राजा बेटा के पढ़े लागी गुरु के पास भेज देलन हल । लड़का के नाम हल जैन । जैन बड़ी भारी मेहनत से पढ़इत हल । गुरु जी के भी एगो खूब सुन्नर लड़की हल । जैन के देख के ऊ लड़की मोहित हो गेल । दूनो में रोज बात-चीत होवऽ हल । बाकि जैन ब्रह्मचारी हल । गुरु-लड़की के साथ जैन बहिन के तरह व्यवहार करऽ हल । एक समय के बात हेय कि राजा के बेटा के बिआह करे लागी कहलन । ई खबर सुन के गुरु जी के लड़की कहलक कि तू हमरा से विवाह कर लऽ । जैन लड़की के बात नऽ मानलक तो लड़की अपन झूला आउ साड़ी फार के अप्पन बाप से कहलक कि बापजान हमरा जैन बरिआरी बेइज्जत कयलक हे । गुरु सुन के जैन पर बड़ी खिसिअयलन आउ जाके ओकर बाप राजा से कहलन कि कोई अदमी कोई अउरत के बरिआरी बेइज्जत करे तो ओकर कउन सजाय देल जायत ? राजा कहलन कि ओकरा फाँसी देल जायत । गुरु जी सारा हाल कह सुनौलन । सुनके राजा कहलन कि लगऽ हे अपने ओकरा बढ़ियाँ से शिक्षा नऽ देली हे । ठीक हे तो जैन के सजाय में हम ओकरा राज से निकाल देइत ही ।

*********** Entry Incomplete ***********

No comments: