Monday, February 11, 2008

1.27 दइतिन बहिन के करमात

[ कहताहर - श्यामदेव सिंह, ग्राम-पो॰ - चौरी, जिला - औरंगाबाद ]

एगो राजा-रानी हलन । उनका एगो बेटा हल । जब बेटा छव-सात साल के हो गेल तब पढ़े ला पाठसाला में जाय लगल । फिनो राजा के एगो दइतिन लड़की जनम लेलक । जब राजा के एकर जानकारी भेल तऽ ऊ अप्पन बेटा के कहलन कि तू जा के लड़की के तलवार से मूँड़ी काट दे । बेटा तलवार लेके मूँड़ी काटे चलल तब माय बोलल - तोरा हम जनमउली हे आउ एकरा हमर कोख से का जनम न भेल हे ? बेटा उहाँ से लौट के चल आयल आउ बाप के पास सब हाल कहलक । राजा सुनलन तो एँड़ी के लहर कपार पर चढ़ गेल । तुरत तलवार उठाके लड़की के मूँड़ी काटे चललन तब रानी देख के कहलन कि अब हम कउन उपाय करूँ । राजा से रानी कहलन - पहिले लड़की के सूरत देख लेईं । जब गोदी में लेके लड़की के सूरत निहारलन तो मोह आ गेल आउ लड़की के छोड़ देलन ।

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