Sunday, February 10, 2008

1.01 नट-विद्या

[ कहताहर - श्री अयोध्या सिंह, ग्राम-पो॰ - बेलखरा, जिला - जहानाबाद]

एगो गाँव हल । ऊ गाँव में एगो राजा हलन । राजा के गाँव में एगो नट आउ नटिन आयल आउ आउ खेल-तमासा करे लगल । करते-करते राजा जी के दरवाजा पर पहुँचल । राजा जी कहलन कि हमरो दुरा पर खेल-तमासा करऽ । नटवा बोलल कि चार कोना पर चार गो सिपाही खड़ा कर दीहीं तो खेल करइत ही । राजा जी कहलन कि सिपाही के बदला में चार जगुन चार गो खूँटा ड़ा जाय तो का हरजा हे ? न राजा जी, खेल में चोट लग जायत तो ठीक न हे । से राजा जी चारो कोना पर चार गो सिपाही ठारा कर देलन । नट-नटिन खेल सुरू कैलक । तऽ राजा जी के मन में गड़ गेल कि नटिनियाँ के रख लिहीं । तब नटवा कहलक कि नटनियाँ के रख लिहीं । आउ हमर लास आवत तो जरा देव । राजा जी ओकरा रखीए लेलन । ओकरा बाद नटवा से कहलन कि हमरा नटविद्या सिखा दे । नटवा बोलल कि अपने राजा होके का नट-विद्या सीखवऽ ? तइयो राजा जोर मारलन तो नटवा कहलक कि हम तो न बाकि हम्मर गुरुजी सिखा देतन । तब राजा पूछलन कि ऊ कहाँ पर हथुन ? नटवा बता देलक । नट चल गेल आउ राजा नउवा के लेके नटवा के गुरु के पास नट-विद्या सीखे चल गेल ।
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1 comment:

bhoj said...

नारायण प्रसाद जी, आपकी भाषा साहित्य को देखकर मैं एक अक्षरों का पद भेजना चाहता हूं। कृपया आप मुझे इसे मगही भाषा मेंं सही शब्दों में बदलने कर भेजें। बड़ी कृपा होगी। अपना ईमेल मेरे इस मेल पर भेजें ताकि मैं आपको वह शब्दाक्षर भेज सकूं।